मैंने अपनी सौतेली बहन की बंधी हुई, उसके बदन को अपनी दया पर ठोकर मारी। उसके विरोध के बावजूद, मैंने उसे परमानंद के कगार पर धकेलते हुए उसकी हर इच्छा का पता लगाया। उसने मेरी हर इच्छा को उत्सुकता से पूरा किया, जिसका समापन एक भावुक चरमोत्कर्ष में हुआ, जिससे वह और अधिक के लिए उत्सुक हो गई।