एक उत्तेजित आदमी, पूरी तरह से नशे में धुत्त, अपने दायित्व को पूरा करने के लिए संघर्ष करता है। एम्मा की जांघ एक अस्थाई गोद बन जाती है, उसका शरीर उसके भटकते हाथों के लिए एक खेल का मैदान बन जाता है। उनकी हंसी कमरे में गूंजती है, जो उनके निर्बाध आनंद के लिए एक वसीयतनामा है।